जान निसार करते थे तुम पर ही सनम हरदम ,
न जाने किस खता को सजा तुमने बना दिया
नामुमकिन था जो तर्क ऐ ताल्लुग मुझसे हमदम ,
जुदा हो हमसे , तुमने आसां क्यू वो बना दिया ...
Tuesday, July 29, 2008
जान निसार करते थे
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जान निसार करते थे तुम पर ही सनम हरदम ,
न जाने किस खता को सजा तुमने बना दिया
नामुमकिन था जो तर्क ऐ ताल्लुग मुझसे हमदम ,
जुदा हो हमसे , तुमने आसां क्यू वो बना दिया ...
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