जन्नत ऐ नूर का , दीदार हुआ अभी अभी
छाया है सुरूर उनका , ऐतबार हुआ अभी अभी
चहरे से उनके जो नजरे न हटा सकू
न जाने क्यू हमको भी, प्यार हुआ अभी अभी
जन्नत ऐ नूर का , दीदार हुआ अभी अभी
छाया है सुरूर उनका , ऐतबार हुआ अभी अभी
चहरे से उनके जो नजरे न हटा सकू
न जाने क्यू हमको भी, प्यार हुआ अभी अभी
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