Sunday, May 31, 2009

कभी तू मुझसे दूर कहीं , कभी तू मुझमे पास है ...

कभी तू मुझसे दूर कहीं , कभी तू मुझमे पास है
हर घड़ी हर लम्हा मुझको , बस तेरी तलाश है ॥
कभी तू साँसों की जुबां , कभी तू दिल की आस है
तू ही तू बातो का मंजर , तू ही मेरी प्यास है ॥

***
कभी तू आँखों की कशिश , कभी तू मन का राज है
तू ही तू इस दिल के अन्दर , तू ही मेरा साज है ॥
कभी तू लहराती पवन , कभी तू ग़म का राज है
तुझसे ही जन्नत है मेरी , तू ही मेरी आवाज है ॥

***
कभी तू माथे की चमक , कभी तू मेरा नाम है
तेरे ही हांथो से बनता , मेरा हर एक काम है ॥
कभी यू फूलो की महक , कभी तू प्यारा जाम है
तुझसे है रौशन है रोशनी , तू ही तो हर शाम है ॥

***

अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो

छुप गया है बादलो मे , शम्स यू ही कही
नजर चुराए बैठा है , चाँद जैसे है ही नही
सोचता हू मै कही तुम , कुछ घबराए रहते हो
अपनी नजरो की चमक से ,फलक सजाए रह्ते हो
***
होश तो है ही नही , अब हर कोई बेहोश है
दिल मे मेरे भी , तुम्हे पाने का एक जोश है
मेरी याद दिल मे कही , तुम बसाए रह्ते हो
मुझमे समाए मै को तुम , ख़ुद मे समाए रह्ते हो
***
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
देख मेरा हाल कर तू , मुझपर थोड़ा रहम
लग रहा मुझको यही तुम कुछ छुपाए रह्ते हो
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो

Friday, May 22, 2009

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू ...

अपनी यह कहानी तुमको , कैसे मै सुनाऊ यारो

अश्को के इस दरिया में, मोती कैसे दिखाऊ प्यारो

गम है हजार दिल में पर , मै मुस्कुराता रहता हू

रूठा है रुब मुझसे मेरा, और मै मनाता रहता हू
***

सोचता हू मै भी कभी , अपना एक घर बसाऊंगा

मेरी तो कीमत ही क्या है, मै क्या ख्वाब सजाऊंगा

रोता हू दिल ही दिल में मै , पर कहता रहता हू

तुम हंसो, सबको हंसाओ, मै भी तो हँसता रहता हू
***

हंसती है किस्मत मेरी, कहकर मुझे जोकर यहाँ

जीता हू मर-मर के मै , खाकर रोज ठोकर यहाँ

देकर भी सुबकुछ अपना मै, कुछ नहीं पाता हू

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू

Sunday, May 10, 2009

आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी...

कुछ भूल गया हू उसको मै, अपनी मंजिल की तलाश मे
पर देख रहा हू ख़ुद को , उसकी नज़रो की हर आस मे
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
मेरे इंतज़ार मे वह , सदिया कई बिता देगी
आज भी मुझको वो अपने , सीने से लगा लेगी
***
आ गया हू दूर फ़िर भी , आती है आवाज़ उसकी
कह रही हो मुझसे जैसे , मै ही हू हर साँस उसकी
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
अपने आँचल मे मुझे वो , फ़िर कही छुपा लेगी
आज भी मुझको वो अपने पलकों पर बिठा लेगी
***
आ गई है आज फ़िर , कुछ भूली बिसरी याद मुझको
उसकी ममता , डाट उसके , और एक एक बात मुझको
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
देखकर मुझको वो अपने , अश्को को बहा देगी
आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी