आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
कह जाऊं वों बातें तुझसे, जो न कह पाऊं
मोहब्बते गुलिस्ताँ से एक फूल मैंने चुना
फूल से कांटो का चुभना, देख अब घबराऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
रहमते खुदा सा, तेरी हंसी पर गुमाँ था कभी
अब उसी हंसी का ढंग देख, क्यू न मर जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
खुश्बुए मीठी थी कुछ पल, फिर जो बदली फिजां है
आज तलक बैठा हू काश, पल वही पा जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
सोचता हू अब कही न हो कोई शिकवा गिला
या हर गिला को याद कर, तुझे भूल जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
Wednesday, January 20, 2010
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
Saturday, September 26, 2009
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू ...
चारो तरफ़ अँधेरा, सब कहते अँधेरी रात है
बात है कुछ और मगर, सब कहते यही बात है
राज की एक बात तुम्हे, मै बतलाने आया हू
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू
लिपट गई थी चांदनी मुझसे, भूल कर बात सब
इसीलिए तो छाई थी, देखो अँधेरी रात तब
नासमझ चांदनी की तुम्हे, दास्तान सुनाने आया हू
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू
कह गई वह बात मुझसे, जिसका कोई मतलब न था
बेवफा चाँद भी है, इसका मुझे तलब न था
चाँद संग अँधेरी का रिश्ता, चांदनी को समझाने आया हू
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू
तुम्हारा रूप संवारने खातिर, चाँद अँधेरी से मिलने जाता है
तुम्हे सबसे बेहतर बनाने मे, वह पन्द्रह दिवस लगाता है
अँधेरी बस जरिया, तुम, चाँद की पूरी मोहब्बत, समझाने आया हू
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू
मेरी बातो का मतलब शायद, चांदनी को समझ आया था
इसीलिए तो देखो तुम, आज, चाँद पूरा नजर आया था
भूल गम अपने सारे, मै, चांदनी मे रंगजाने आया हू
चाँद से ख़फा उसकी, चांदनी को मिलाने आया हू
Monday, August 31, 2009
Monday, August 24, 2009
तेरी यादो के वो हँसी पल, मेरी धडकनों पर महेरबान रहेगे
तेरी यादो के वो हँसी पल, मेरी धडकनों पर महेरबान रहेगे
खुशबुओ से महकती है राहे, तेरी साँसों के एहसान रहेगे
आँखों के इशारों को उनकी, जो समझ सकू तो महेरबान है खुदा
वरना तो जिन्दगी के भवंर में, भटकते कदमो के निशान रहेगे ...
Wednesday, August 19, 2009
इस जहाँ मे हुस्न के, दीवाने है कई
इस जहाँ मे हुस्न के, दीवाने है कई
हुस्न एक तुम, परवाने है कई
मै भी हू दीवाना तेरे, हुस्न ऐ दीदार का
पर क्या करू यारा, तुझे देखने वाले है कई
जैसे जुदा सब चेहरे यहाँ, जुदा है रंग कई
चेहरा एक तुम, अफ़साने है कई
मै भी हू परवाना तेरे, चश्मे बेदार का
पर क्या करू दिलदारा, तुझे चाहने वाले है कई
खुमार ऐ जाम का, या लबों से तेरे अनजाने है कई
जाम एक तुम, महखाने है कई
मै भी एक तराना तेरे, चर्चा ऐ नामदार का
पर क्या करू यारा, तुझे गाने वाले है कई
Monday, August 17, 2009
चाहते हर पल बदलती, हवाओं के रुख सी यहाँ ...
इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो
तुमसे ही सुबहे मेरी, तुमसे हर शाम हो
न कभी रूसवा मोहब्बत, न कभी बदनाम हो
तेरे ही दर पर मरू मै, बस यही अंजाम हो
चाहते हर पल बदलती, हवाओं के रुख सी यहाँ ...
मोहब्बते दर दर भटकती, निगाहें भी बेरुख यहाँ ...
तेरे हुस्न के महखाने मे, अपना भी एक जाम हो
तुमसे ही जन्नत मेरी, तुमसे हर काम हो
न कभी टूटे ये अरमां, दिल का यही पैगाम हो
तुझसे ही जुड़कर मेरी, अब बातें सरे आम हो
नजरे कुछ और कहती है, दिल मे बसा कोई और हुआ ...
आशिको की हर बात ऐसी, सागर से उठता जैसे धुआ ...
मज्नुओ की बरात मे, अपना भी इंतजाम हो
तुमसे ही अफ़साने अपने, तुमसे आराम हो
न कभी झूठे हो वादे, न कभी नाकाम हो
तुझसे है अब सारी कसमे, तेरा ही अरमां हो
Monday, July 13, 2009
कभी कभी दिल से बहती है, अश्को की एक लम्बी धारा...
कभी कभी दिल से बहती है, अश्को की एक लम्बी धारा
कैसे दिखाऊ मै तुमको वो दरिया जिसका नहो कोई किनारा
जबसे मुझसे रूठ गई तुम, हँसी नही होठो पे यारा
एक तुम ही थी हमदम मेरी, नजरो का तुम थी नजारा
कभी कभी मुझपर हंसती है, मेरी किस्मत कह मुझको बेचारा
कैसे बताऊ मै तुमको, कैसे हू मै ख़ुद से हारा
जहा तुम मुझको छोड़ गई थी, वही खड़ा हू अबतक यारा
तुमसे ही जन्नत थी मेरी, तुम ही थी जीने का सहारा
कभी कभी सीने मे जलती है, यादो की बुझती शरारह [sharaarah =chingaari]
कैसे समझाऊ मै तुमको, की तुम बिन नही अब मेरा गुजारा
जो तुम मुझको दिखा गई थी, अब नही दिखता वो सितारा
तुमसे ही रौशन थी नजरे, तुम ही थी मेरी बातो का इशारा
Tuesday, June 9, 2009
इंतजार मे तेरे , मेरे , आँखों से आंसू रूठ गए
इंतजार मे तेरे , मेरे , आँखों से आंसू रूठ गए
तुम न आई ख्वाबो मे तो ,नीदों से नाते टूट गए
पर जब भी तुम आओगी सजनी ,
हो जायेगी फ़िर बरसाते...बंध जायेगे रिश्ते नाते ...
हाँ , जब भी तुम आओगी सजनी ,
हो जायेगी फ़िर बरसाते...बंध जायेगे रिश्ते नाते ...
***
बेकरार मे तेरे , मेरे , दिल से सागर छूट गए
न जाने तुम कब कहाँ , चैन हमारे लूट गए
पर जब भी तुम आओगी सजनी ,
ले आओगी फ़िर सौगाते...सुन जाओगी मेरी बातें...
हाँ , जब भी तुम आओगी सजनी ,
ले आओगी फ़िर सौगाते...सुन जाओगी मेरी बातें...
Thursday, June 4, 2009
खुशनुमा जमीं, बेदाग़ फलक, सपनो की अब बातें है
आने वाले समय की कल्पना कर मैंने प्राकृति पर कुछ पंक्तिया लिखने की कोशिश की है , उम्मीद करता हू कि जो जैसा लिखा है वैसा कभी न हो ...
खुशनुमा जमीं, बेदाग़ फलक, सपनो की अब बातें है
बरसो हुए चांदनी देखे , अब तो काली रातें है
काट चुका हू लाखो साख, और काट रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै
सावन कई बीत गए , पर बदरा नही छाते है
किस्से और कहानियो मे ही, होती अब बरसाते है
नदिया सारी सूख चुकी , अब सागर सुखा रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै
बाग़ है सूने सूने , सूने मौसम हुए जाते है
धूल और धुए मे ही , मिलती अब सौगाते है
पंछी सारे मार चुका , अब पशुए मार रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै
Sunday, May 31, 2009
कभी तू मुझसे दूर कहीं , कभी तू मुझमे पास है ...
कभी तू मुझसे दूर कहीं , कभी तू मुझमे पास है
हर घड़ी हर लम्हा मुझको , बस तेरी तलाश है ॥
कभी तू साँसों की जुबां , कभी तू दिल की आस है
तू ही तू बातो का मंजर , तू ही मेरी प्यास है ॥
***
कभी तू आँखों की कशिश , कभी तू मन का राज है
तू ही तू इस दिल के अन्दर , तू ही मेरा साज है ॥
कभी तू लहराती पवन , कभी तू ग़म का राज है
तुझसे ही जन्नत है मेरी , तू ही मेरी आवाज है ॥
***
कभी तू माथे की चमक , कभी तू मेरा नाम है
तेरे ही हांथो से बनता , मेरा हर एक काम है ॥
कभी यू फूलो की महक , कभी तू प्यारा जाम है
तुझसे है रौशन है रोशनी , तू ही तो हर शाम है ॥
***
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो
छुप गया है बादलो मे , शम्स यू ही कही
नजर चुराए बैठा है , चाँद जैसे है ही नही
सोचता हू मै कही तुम , कुछ घबराए रहते हो
अपनी नजरो की चमक से ,फलक सजाए रह्ते हो
***
होश तो है ही नही , अब हर कोई बेहोश है
दिल मे मेरे भी , तुम्हे पाने का एक जोश है
मेरी याद दिल मे कही , तुम बसाए रह्ते हो
मुझमे समाए मै को तुम , ख़ुद मे समाए रह्ते हो
***
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
देख मेरा हाल कर तू , मुझपर थोड़ा रहम
लग रहा मुझको यही तुम कुछ छुपाए रह्ते हो
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो
Friday, May 22, 2009
कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू ...
अपनी यह कहानी तुमको , कैसे मै सुनाऊ यारो
अश्को के इस दरिया में, मोती कैसे दिखाऊ प्यारो
गम है हजार दिल में पर , मै मुस्कुराता रहता हू
रूठा है रुब मुझसे मेरा, और मै मनाता रहता हू
***
सोचता हू मै भी कभी , अपना एक घर बसाऊंगा
मेरी तो कीमत ही क्या है, मै क्या ख्वाब सजाऊंगा
रोता हू दिल ही दिल में मै , पर कहता रहता हू
तुम हंसो, सबको हंसाओ, मै भी तो हँसता रहता हू
***
हंसती है किस्मत मेरी, कहकर मुझे जोकर यहाँ
जीता हू मर-मर के मै , खाकर रोज ठोकर यहाँ
देकर भी सुबकुछ अपना मै, कुछ नहीं पाता हू
कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू
Sunday, May 10, 2009
आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी...
कुछ भूल गया हू उसको मै, अपनी मंजिल की तलाश मे
पर देख रहा हू ख़ुद को , उसकी नज़रो की हर आस मे
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
मेरे इंतज़ार मे वह , सदिया कई बिता देगी
आज भी मुझको वो अपने , सीने से लगा लेगी
***
आ गया हू दूर फ़िर भी , आती है आवाज़ उसकी
कह रही हो मुझसे जैसे , मै ही हू हर साँस उसकी
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
अपने आँचल मे मुझे वो , फ़िर कही छुपा लेगी
आज भी मुझको वो अपने पलकों पर बिठा लेगी
***
आ गई है आज फ़िर , कुछ भूली बिसरी याद मुझको
उसकी ममता , डाट उसके , और एक एक बात मुझको
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
देखकर मुझको वो अपने , अश्को को बहा देगी
आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी
Sunday, April 12, 2009
मुझे पता है सदियों से यह , तुझे पता चल जाएगा ...
मजमा ऐ हुस्न कही , जब यूही जमा हो जाएगा
मेरी तो नजरे वही है , नजर जहा तू आएगा
जो देखे नजरो से मेरी , तुझसा हंसीं नही है कोई
मुझे पता है सदियों से यह , तुझे पता चल जाएगा ...
***
उगता है सूरज तभी , जब जागे तू नीद से अपनी
मेरी तो राते होती है , बंद करे जब आंखे अपनी
रौशन होगा जहाँ मेरा , जब भी तू मुस्कुरा जाएगा
मुझे पता है सदियों से यह , तुझे पता चल जाएगा ...
***
गम है ज़माने मे कई मगर , तू है मेरे गम की दवा
चलती है जो सांसे हमारी , तू है इनकी महकती हवा
हो जाएगा जीवन सफल , जो तू मुझमे मिल जाएगा
मुझे पता है सदियों से यह , तुझे पता चल जाएगा ...
कट गया हर लम्हा कैसे , वक्त का न ख्याल किया ...
कट गया हर लम्हा कैसे , वक्त का न ख्याल किया
थे नशे मे पल पल चूर , ख़ुद से न सवाल किया
कुछ पल मेरे साथ चले वो , फ़िर रास्ता नया इक्तियार किया
छोड़ गए तन्हा हमको , जिन रास्तो पर उनका इंतजार किया
आज फ़िर लगाती है मुझको ये राहे बिरानी ...
आज फ़िर दिखती है सूरत इक जानी पहचानी ...
***
सुर्ख धुप मे भी था हरपल ही साया उनका
अब कही गुम सी है मुझसे ही परछाई मेरी
कही दिखती नही मुझे मेरे हांथो की गहरी लकीर
अब तो बस नजर आए मेरा खुदा मुझसा फ़कीर
आज फ़िर रूठे है मुझसे ही मेरी हस्ती ...
आज फ़िर डूबे है बिन पानी मेरी कश्ती ...
***
रात भर देखा करते , चाँद को बिन पलके झपकाए
जल गए चादनी मे उसके , उनसे है हम कुछ घबराए
जिन्दा रहकर भी यहाँ मैं हरपल मरता रहता हू
देकर मुझको जहर गए जो पल पल पीता रहता हू
आज फ़िर आँखों मे उतर आया दिल का गुमाँ ...
आज फ़िर ख्वाबो मे नजर आया उनका निशाँ ...
***