Monday, August 17, 2009

चाहते हर पल बदलती, हवाओं के रुख सी यहाँ ...

इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो

तुमसे ही सुबहे मेरी, तुमसे हर शाम हो

न कभी रूसवा मोहब्बत, न कभी बदनाम हो

तेरे ही दर पर मरू मै, बस यही अंजाम हो

चाहते हर पल बदलती, हवाओं के रुख सी यहाँ ...

मोहब्बते दर दर भटकती, निगाहें भी बेरुख यहाँ ...

तेरे हुस्न के महखाने मे, अपना भी एक जाम हो

तुमसे ही जन्नत मेरी, तुमसे हर काम हो

न कभी टूटे ये अरमां, दिल का यही पैगाम हो

तुझसे ही जुड़कर मेरी, अब बातें सरे आम हो

नजरे कुछ और कहती है, दिल मे बसा कोई और हुआ ...

आशिको की हर बात ऐसी, सागर से उठता जैसे धुआ ...

मज्नुओ की बरात मे, अपना भी इंतजाम हो

तुमसे ही अफ़साने अपने, तुमसे आराम हो

न कभी झूठे हो वादे, न कभी नाकाम हो

तुझसे है अब सारी कसमे, तेरा ही अरमां हो

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