कट गया हर लम्हा कैसे , वक्त का न ख्याल किया
थे नशे मे पल पल चूर , ख़ुद से न सवाल किया
कुछ पल मेरे साथ चले वो , फ़िर रास्ता नया इक्तियार किया
छोड़ गए है तन्हा अब हमको जिन रास्तो पर उनका इंतजार किया
आज फ़िर लगाती है मुझको ये राहे बिरानी
आज फ़िर दिखती है सूरत इक जानी पहचानी
सुर्ख धुप मे भी था हरपल ही साया उनका
अब कही गुम सी है मुझसे ही परछाई मेरी
कही दिखती नही मुझे मेरे हांथो की गहरी लकीर
अब तो बस नजर आए मेरा खुदा मुझसा फ़कीर
आज फ़िर रूठे है मुझसे ही मेरी हस्ती
आज फ़िर डूबे है बिन पानी मेरी कश्ती
रात भर देखा करते जिस चाँद को बिन पलके झपकाए
जल गए चादनी मे उसके , अब उनसे है हम घबराए
जिन्दा रहकर भी यहाँ मैं हरपल मरता रहता हू
देकर मुझको जहर गए जो पल पल पीटा रहता हू
आज फ़िर आँखों मे उतर आया दिल का गुमान
आज फ़िर ख्वाबो मे नजर आया उनका निशान
Tuesday, March 24, 2009
आज फ़िर ख्वाबो मे नजर आया उनका निशान
Sunday, March 15, 2009
कभी नजरे चुराकर जो मेरी आँखों मे बस जाए ...
कभी नजरे चुराकर जो मेरी आँखों मे बस जाए
कभी नीदों मे आकर जो मेरे ख्वाबो पे हँस जाए
अगर रूठा है सावन तो जिनके आने से बरस जाए
हाँ तू ही तू मेरे ख्वाब मे आए ...
मेरी तू तकदीर बनाए ...
तुझसे ही चलती है साँसे ...
बिन तेरे अब रहा न जाए ...
कभी होठो पे सजकर जो मेरी बातो मे उतर जाए
कभी पलके झुकाकर जो मेरी नजरों मे नजर आए
अगर माउस है दिल मेरा जिन्हें देख संवर जाए
हाँ तू ही तू मेरे दिल की धड़कन ...
मेरी तू चाहत की तड़पन ...
तुझसे ही दिखती है राहे ...
बिन तेरे अब जिया न जाए ...
Sunday, March 8, 2009
कि काश कभी मै इन्सां नही होता ...
दर्द ही दर्द है इस जहाँ मे सब ओर ,
बहते है आँसू मेरे जब रोए कोई ओर
सोच कुछ बातें मै पल पल हू रोता ,
कि काश कभी ऐसा ये पल नही होता ...
न ही कोई रहनुमा यहाँ , न चितचोर ,
तडपे है मन मेरा जब चीखे कोई ओर
बंद है आंखे मेरी पर दिल नही सोता ,
कि काश कभी मेरा ये दिल नही होता ...
आज हर इन्सां मे छुपा है एक चोर ,
जलता है तन मेरा जब लुटे कोई ओर
क्या मैंने पाया जो मै हू खोता ,
कि काश कभी मै इन्सां नही होता ...