Tuesday, June 9, 2009

इंतजार मे तेरे , मेरे , आँखों से आंसू रूठ गए

इंतजार मे तेरे , मेरे , आँखों से आंसू रूठ गए
तुम न आई ख्वाबो मे तो ,नीदों से नाते टूट गए
पर जब भी तुम आओगी सजनी ,
हो जायेगी फ़िर बरसाते...बंध जायेगे रिश्ते नाते ...
हाँ , जब भी तुम आओगी सजनी ,
हो जायेगी फ़िर बरसाते...बंध जायेगे रिश्ते नाते ...

***
बेकरार मे तेरे , मेरे , दिल से सागर छूट गए
न जाने तुम कब कहाँ , चैन हमारे लूट गए
पर जब भी तुम आओगी सजनी ,
ले आओगी फ़िर सौगाते...सुन जाओगी मेरी बातें...
हाँ , जब भी तुम आओगी सजनी ,
ले आओगी फ़िर सौगाते...सुन जाओगी मेरी बातें...

Thursday, June 4, 2009

खुशनुमा जमीं, बेदाग़ फलक, सपनो की अब बातें है

आने वाले समय की कल्पना कर मैंने प्राकृति पर कुछ पंक्तिया लिखने की कोशिश की है , उम्मीद करता हू कि जो जैसा लिखा है वैसा कभी न हो ...

खुशनुमा जमीं, बेदाग़ फलक, सपनो की अब बातें है
बरसो हुए चांदनी देखे , अब तो काली रातें है
काट चुका हू लाखो साख, और काट रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै

सावन कई बीत गए , पर बदरा नही छाते है
किस्से और कहानियो मे ही, होती अब बरसाते है
नदिया सारी सूख चुकी , अब सागर सुखा रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै

बाग़ है सूने सूने , सूने मौसम हुए जाते है
धूल और धुए मे ही , मिलती अब सौगाते है
पंछी सारे मार चुका , अब पशुए मार रहा हू मै
गुनाहगारों की इस दुनिया मे , मर मर जी रहा हू मै