Wednesday, October 15, 2008

ज़माने की सारी दुआयों ...

ज़माने की सारी दुआयों से बढकर, मेरी एक दुआ है, मेरे उस ज़माने के लिए ...

हे खुदा तू लै ले मेरी जान, और दे दे उनको , हर इक लम्हा मुस्कुराने के लिए ...

लेता रहूँगा हर जनम, बस तेरा ही कर्ज चुकाने के लिए , जो करता रहे तू करिश्मा , मेरे महबूब को हँसाने के लिए ...

न रहेगा रंजो गम , ना ही कोई शिकायत तुझसे , जो ले जा तू मेरी साँसे , बस उनकी जुल्फे लहराने के लिए ...

Wednesday, October 8, 2008

तुम्हारी जुल्फों की घनी छाव ...

तुम्हारी जुल्फों की घनी छाव मे सो जाऊ अगर ,
तुम्हारी आँखों की इन अदाओं मे खो जाऊ अगर ,
तन्हा कर मुझको यू ही न छोड़ जाना तुम , क्यूकी
मौत भी न आएगी तुमसे जुदा हो जाऊ अगर ...

तुम्हारी बाहों की पनाह ...

तुम्हारी बाहों की पनाह मे सारी उमर बीत जाए ,
हर चहेरे पे बस अब तेरा ही चहेरा नजर आए ,
खुशियों के मोती जो कभी आँखों मे उतर आते है ,
इन अश्को को क्यू रोकू मै जब उनमे भी तू ठहर जाए

हवाओ का रुख ...

हवाओ का रुख हर पल बदल जाता है ,
बदलियों को देख कभी सूरज भी शरमाता है ,
जब भी होते हो तुम साथ हमारे ,
ना जाने कमबख्त ये वक्त क्यू गुजर जाता है