Wednesday, January 20, 2010

आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै

आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
कह जाऊं वों बातें तुझसे, जो न कह पाऊं

मोहब्बते गुलिस्ताँ से एक फूल मैंने चुना
फूल से कांटो का चुभना, देख अब घबराऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै

रहमते खुदा सा, तेरी हंसी पर गुमाँ था कभी
अब उसी हंसी का ढंग देख, क्यू न मर जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै


खुश्बुए मीठी थी कुछ पल, फिर जो बदली फिजां है
आज तलक बैठा हू काश, पल वही पा जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै


सोचता हू अब कही न हो कोई शिकवा गिला
या हर गिला को याद कर, तुझे भूल जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै