हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए , उनकी ही यादो मे खोए ,
ख़ुद से ही बातें करते मैं, यू ही चलता चला जा रहा था ...
देख मुझे सूरज ये बोला, जो दे जा तू मुझको ये बूंदे ,
तो कहने से तेरे होंगी , हर सुबहे , और सब रातें
सुनकर उसकी ये बातें, मैंने की यह गुजारिश उससे,
जो कर सके जुदा तू ख़ुद से, अपनी उन किरणों को जिनसे,
करता है तू मोहब्बत तबसे, इस जहाँ मे उजाला है जबसे,
तो ले जा तू मेरी सारी , मुझसे भी प्यारी बूंदे ...
सुनकर मेरी बातें, वो ख़ुद को बदलियों मे छुपाये जा रहा था ...
हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए , उनकी ही यादो मे खोए ,
ख़ुद से ही बातें करते मैं , यू ही चलता चला जा रहा था ...
Friday, September 19, 2008
हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए ...
Tuesday, September 9, 2008
कहने को तो कह दू मैं ...
कहने को तो कह दू मैं , की तुमसा कोई हँसी नही ,
पर कैसे कहू यह तुमसे मै , जब तुमको है यकीं नही ...
शाहिल किनारे बैठे ...
शाहिल किनारे बैठे यू सागर को तुम न देखा करो ,
डरता हू कही , सागर को , मोहब्बत न तुमसे हो जाए
ख्यालो मे खोए यू फिजाओ से न बाते करो ,
घबराता हू कही , फिजाओ को , चाहत न तुमसे हो जाए ...
Wednesday, September 3, 2008
तन्हाइयो की आगोश ने ...
तन्हाइयो की आगोश ने कुछ ऐसा जादू कर दिया ,
की आज फ़िर महफिलों मे यह दिल उदास है ...
कल के अंधेरे को कर सके जो दूर ,
उस आज के सवेरे की मुझे मुदत्तो से तलाश है ...
ज़माना न था जालिम कभी, न है लोग यहाँ के ,
फ़िर क्यू है यह माउसी ,क्यू हर सक्श निराश है ...
Subscribe to:
Posts (Atom)