चाहते हर पल बदलती, हवाओ के रुख सी यहाँमोहब्बते दरदर भटकती, निगाहे भी बेरुख सी यहांदुआए मांग रही हीर, पर राँझा है किसी और के संगहाँ, आजकल मोहब्बतों का, बस यही है एक रंग
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