Monday, August 31, 2009

चाहते हर पल बदलती, हवाओ के रुख सी यहाँ
मोहब्बते दरदर भटकती, निगाहे भी बेरुख सी यहां
दुआए मांग रही हीर, पर राँझा है किसी और के संग
हाँ, आजकल मोहब्बतों का, बस यही है एक रंग

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