Sunday, May 31, 2009

अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो

छुप गया है बादलो मे , शम्स यू ही कही
नजर चुराए बैठा है , चाँद जैसे है ही नही
सोचता हू मै कही तुम , कुछ घबराए रहते हो
अपनी नजरो की चमक से ,फलक सजाए रह्ते हो
***
होश तो है ही नही , अब हर कोई बेहोश है
दिल मे मेरे भी , तुम्हे पाने का एक जोश है
मेरी याद दिल मे कही , तुम बसाए रह्ते हो
मुझमे समाए मै को तुम , ख़ुद मे समाए रह्ते हो
***
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
देख मेरा हाल कर तू , मुझपर थोड़ा रहम
लग रहा मुझको यही तुम कुछ छुपाए रह्ते हो
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो

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