छुप गया है बादलो मे , शम्स यू ही कही
नजर चुराए बैठा है , चाँद जैसे है ही नही
सोचता हू मै कही तुम , कुछ घबराए रहते हो
अपनी नजरो की चमक से ,फलक सजाए रह्ते हो
***
होश तो है ही नही , अब हर कोई बेहोश है
दिल मे मेरे भी , तुम्हे पाने का एक जोश है
मेरी याद दिल मे कही , तुम बसाए रह्ते हो
मुझमे समाए मै को तुम , ख़ुद मे समाए रह्ते हो
***
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
देख मेरा हाल कर तू , मुझपर थोड़ा रहम
लग रहा मुझको यही तुम कुछ छुपाए रह्ते हो
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो
Sunday, May 31, 2009
अपनी साँसों से फिज़ा को तुम महकाए रह्ते हो
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