Friday, May 22, 2009

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू ...

अपनी यह कहानी तुमको , कैसे मै सुनाऊ यारो

अश्को के इस दरिया में, मोती कैसे दिखाऊ प्यारो

गम है हजार दिल में पर , मै मुस्कुराता रहता हू

रूठा है रुब मुझसे मेरा, और मै मनाता रहता हू
***

सोचता हू मै भी कभी , अपना एक घर बसाऊंगा

मेरी तो कीमत ही क्या है, मै क्या ख्वाब सजाऊंगा

रोता हू दिल ही दिल में मै , पर कहता रहता हू

तुम हंसो, सबको हंसाओ, मै भी तो हँसता रहता हू
***

हंसती है किस्मत मेरी, कहकर मुझे जोकर यहाँ

जीता हू मर-मर के मै , खाकर रोज ठोकर यहाँ

देकर भी सुबकुछ अपना मै, कुछ नहीं पाता हू

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू

1 comment:

ek adhuri kavita.......... said...

हंसती है किस्मत मेरी, कहकर मुझे जोकर यहाँ

जीता हू मर-मर के मै , खाकर रोज ठोकर यहाँ

देकर भी सुबकुछ अपना मै, कुछ नहीं पाता हू

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू
bahut khub likha he in 4 line me sab kuch ho jese