Sunday, May 10, 2009

आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी...

कुछ भूल गया हू उसको मै, अपनी मंजिल की तलाश मे
पर देख रहा हू ख़ुद को , उसकी नज़रो की हर आस मे
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
मेरे इंतज़ार मे वह , सदिया कई बिता देगी
आज भी मुझको वो अपने , सीने से लगा लेगी
***
आ गया हू दूर फ़िर भी , आती है आवाज़ उसकी
कह रही हो मुझसे जैसे , मै ही हू हर साँस उसकी
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
अपने आँचल मे मुझे वो , फ़िर कही छुपा लेगी
आज भी मुझको वो अपने पलकों पर बिठा लेगी
***
आ गई है आज फ़िर , कुछ भूली बिसरी याद मुझको
उसकी ममता , डाट उसके , और एक एक बात मुझको
तुम जानो या न जानो , पर जानता हू मै यही ... कि
देखकर मुझको वो अपने , अश्को को बहा देगी
आज भी मुझको वो एक , मीठी लोरी सुना देगी

1 comment:

ek adhuri kavita.......... said...

sir aap ko ho kya gay ahe aaap bahut achcha likha
mere pass to kuc he hi nahi
bas pad ....bar bar padne ka man kar raha he