Wednesday, July 16, 2008

कभी तो यू ही आकर

कभी तो यू ही आकर , गले मेरे लग जाती वो
कभी पास होकर भी , दूर चली क्यू जाती वो
जब भी हो साथ मेरे वो , वक्त यू ही थम जाता है
कहना चाहे मुझसे कुछ , पर बिना कहे चली जाती वो ...

कभी तो नजरे मिलाकर , दिल मेरा पढ़ जाती वो
कभी तो ख्वाबो मे आकर , मुझको क्यू तडपाती वो
जब भी हो पास मेरे वो , दिल को चैन आ जाता है
रहना चाहे साथ मेरे , पर बिना रहे चली जाती वो ...

1 comment:

Anonymous said...

hmmmmm....