Wednesday, July 2, 2008

हाल ऐ दिल का अपने

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे

राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

चाहत की राहो पर , ठोकर जो खाई है ,

उठाने की हर कोशिस मे , नाकामी पाई है

चाल ऐ अपनी , तुमको , मैं दिखाऊ तो कैसे ....

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे
राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

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अहेसास ऐ मोहब्बत मे , धोके ही धोके है

कसमे और वादे तो , झूठे ही होते है

बहते हुए अश्को की , झलक , दिखालाऊ तो कैसे ....

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे
राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

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बारिश की बूंदे भी , अंगारे बरसाती है

तुझे भूलने की कोशिस , तेरी याद दिलाती है

जान ओ मेरी , तुमको , मैं भुलाऊ तो कैसे ....

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे
राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

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सागर की लहेरो मे , तुझको ही दुन्द्दू मैं

रब की इबादत मे , तुझको ही पूजू मैं

अरमा ओ मेरी , तुझको , समझाऊ तो कैसे ....

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे

राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

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जाते हुए लम्हों मे , तेरी सांसो की खुसबू

आते हुए पल पल मे , तुझे पाने की जुब्त्जू

मंजिल वो मेरी तुझसे दूर जाऊ तो कैसे ....

हाल ऐ दिल का अपने , मै सुनाऊ तो कैसे

राज ऐ गम का अपने , मैं बताऊ तो कैसे

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