Thursday, July 10, 2008

जो कभी लाब्जो से

जो कभी लब्जो से न कह पाईं तुम , नजरे तुम्हारी कह देती वो बातें ...
राज ऐ दिल मे छुपाओगी कैसे , जब हाल ऐ दिल कह देती तुम्हारी बातें ...
जो कभी तुमसे न कह पाए हम , कभी तो समझो हमारी वो बातें....
साथ ऐ तुम्हारा चाहू हरदम , पर खोजू , ख़ुद से बहतर , सुनकर तुम्हारी बातें ...