उल्फत ऐ मोहब्बत हमने दिखाई है इस जहान को ,
माशूका की याद मे तड़पते आशिक के जख्म ऐ निशान को ,
दरिया के किनारे बैठे है पर फ़िर भी लबों मे प्यास है ,
कही ऐसा तो नही की इस दिल को भी अपनी धडकनों की तलाश है
Friday, June 27, 2008
उल्फत ऐ मोहब्बत हमने दिखाई है इस जहान को
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