Sunday, June 8, 2008

सागर की गहरायियो मे जाकर

सागर की गहरायियो मे जाकर , मोतियों को खोजना चाहा
उमीदो की राहों मे चलकर , चाहतो को जानना चाहा
तुम्हारी जुल्फों की परछाईयो मे सोकर , असमानों को छूना चाहा
रस्मो की डोरियों मे बधकर , तुम्हारी मोहबतो को पाना चाहा
खुदा की खुदाई मे रहकर भी , पल पल तुम्हे पूजना चाहा
पर क्या कहे तुम्हारी वेबफाई को जो हमे छोड़ तुमने किसी और को पाना चाहा

No comments: