चहरे से नकाब जो हटा देता हू मैं ,
न जाने क्यू पहचान छुपा लेते है लोग
इंसां को जो को ख़ुद से मिला देता हू मैं ,
न जाने क्यू दूरिया बड़ा लेते है लोग
चाहता तो हू की सब को मिल जाए हर खुशी ,
पर जब झूठ से परदा जो उठा देता हू मैं
न जाने क्यू हम पर ही इल्जाम लगा देते है लोग ...
Monday, August 4, 2008
चहरे से नकाब ...
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