Wednesday, August 6, 2008

हांथो की मेहदी ...

हांथो की मेहदी रंग ला रही है आहिस्ता आहिस्ता
बातों ही बातों मे कुछ समझा रही वो आहिस्ता आहिस्ता
लब्जो को समझने मे न हो जाए गुस्ताखी हमसे
इकरार ऐ मोहब्बत लबों पर आ रही है आहिस्ता आहिस्ता ...

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