तेरे इश्क ने क्या क्या न बना दिया मुझको
कभी जमीं पर गिरा दिया
कभी फलक पर चढा दिया मुझको ॥
जैसे जुदा सब चहरे यहाँ जुदा है रंग सभी
क्यों हर चहरे पर दिखे मुझे तेरा ही चेहरा हँसी
तेरे हुस्न ने क्या क्या न सिखा दिया मुझको
कभी गमीं मे हंसा दिया
तो कभी खुशी मे रुला दिया मुझको ॥
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