नशा है किसी को महकती शराब का ,
कही छाया है सुरूर हुस्न ऐ शबाब का ,
गुम है हर शख्स अपने ही जहा में कही ,
हमे है नशा ऐ सुरूर बस एक हँसी ख्वाब का ...
Friday, February 6, 2009
नशा है किसी को महकती शराब का...
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नशा है किसी को महकती शराब का ,
कही छाया है सुरूर हुस्न ऐ शबाब का ,
गुम है हर शख्स अपने ही जहा में कही ,
हमे है नशा ऐ सुरूर बस एक हँसी ख्वाब का ...
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