Tuesday, March 24, 2009

आज फ़िर ख्वाबो मे नजर आया उनका निशान

कट गया हर लम्हा कैसे , वक्त का न ख्याल किया
थे नशे मे पल पल चूर , ख़ुद से न सवाल किया
कुछ पल मेरे साथ चले वो , फ़िर रास्ता नया इक्तियार किया
छोड़ गए है तन्हा अब हमको जिन रास्तो पर उनका इंतजार किया
आज फ़िर लगाती है मुझको ये राहे बिरानी
आज फ़िर दिखती है सूरत इक जानी पहचानी

सुर्ख धुप मे भी था हरपल ही साया उनका
अब कही गुम सी है मुझसे ही परछाई मेरी
कही दिखती नही मुझे मेरे हांथो की गहरी लकीर
अब तो बस नजर आए मेरा खुदा मुझसा फ़कीर
आज फ़िर रूठे है मुझसे ही मेरी हस्ती
आज फ़िर डूबे है बिन पानी मेरी कश्ती

रात भर देखा करते जिस चाँद को बिन पलके झपकाए
जल गए चादनी मे उसके , अब उनसे है हम घबराए
जिन्दा रहकर भी यहाँ मैं हरपल मरता रहता हू
देकर मुझको जहर गए जो पल पल पीटा रहता हू
आज फ़िर आँखों मे उतर आया दिल का गुमान
आज फ़िर ख्वाबो मे नजर आया उनका निशान





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