ज़माने की सारी दुआयों से बढकर, मेरी एक दुआ है, मेरे उस ज़माने के लिए ...
हे खुदा तू लै ले मेरी जान, और दे दे उनको , हर इक लम्हा मुस्कुराने के लिए ...
लेता रहूँगा हर जनम, बस तेरा ही कर्ज चुकाने के लिए , जो करता रहे तू करिश्मा , मेरे महबूब को हँसाने के लिए ...
न रहेगा रंजो गम , ना ही कोई शिकायत तुझसे , जो ले जा तू मेरी साँसे , बस उनकी जुल्फे लहराने के लिए ...
1 comment:
hi.. u visited my blog and liked my poems.. thanks for ur words of appreciation..
why r u the last hindu by the way? what does that mean?
sorry i cdnt read ur posts. i m not comfortable at the hindi script.
anyways tc
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