Wednesday, October 15, 2008

ज़माने की सारी दुआयों ...

ज़माने की सारी दुआयों से बढकर, मेरी एक दुआ है, मेरे उस ज़माने के लिए ...

हे खुदा तू लै ले मेरी जान, और दे दे उनको , हर इक लम्हा मुस्कुराने के लिए ...

लेता रहूँगा हर जनम, बस तेरा ही कर्ज चुकाने के लिए , जो करता रहे तू करिश्मा , मेरे महबूब को हँसाने के लिए ...

न रहेगा रंजो गम , ना ही कोई शिकायत तुझसे , जो ले जा तू मेरी साँसे , बस उनकी जुल्फे लहराने के लिए ...

1 comment:

ishqia said...

hi.. u visited my blog and liked my poems.. thanks for ur words of appreciation..

why r u the last hindu by the way? what does that mean?

sorry i cdnt read ur posts. i m not comfortable at the hindi script.

anyways tc