Wednesday, October 8, 2008

तुम्हारी बाहों की पनाह ...

तुम्हारी बाहों की पनाह मे सारी उमर बीत जाए ,
हर चहेरे पे बस अब तेरा ही चहेरा नजर आए ,
खुशियों के मोती जो कभी आँखों मे उतर आते है ,
इन अश्को को क्यू रोकू मै जब उनमे भी तू ठहर जाए

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