Friday, September 19, 2008

हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए ...

हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए , उनकी ही यादो मे खोए ,
ख़ुद से ही बातें करते मैं, यू ही चलता चला जा रहा था ...

देख मुझे सूरज ये बोला, जो दे जा तू मुझको ये बूंदे ,
तो कहने से तेरे होंगी , हर सुबहे , और सब रातें

सुनकर उसकी ये बातें, मैंने की यह गुजारिश उससे,
जो कर सके जुदा तू ख़ुद से, अपनी उन किरणों को जिनसे,

करता है तू मोहब्बत तबसे, इस जहाँ मे उजाला है जबसे,
तो ले जा तू मेरी सारी , मुझसे भी प्यारी बूंदे ...
सुनकर मेरी बातें, वो ख़ुद को बदलियों मे छुपाये जा रहा था ...

हंथेली मे कुछ बूंदे सजोए , उनकी ही यादो मे खोए ,
ख़ुद से ही बातें करते मैं , यू ही चलता चला जा रहा था ...