तन्हाइयो की आगोश ने कुछ ऐसा जादू कर दिया ,
की आज फ़िर महफिलों मे यह दिल उदास है ...
कल के अंधेरे को कर सके जो दूर ,
उस आज के सवेरे की मुझे मुदत्तो से तलाश है ...
ज़माना न था जालिम कभी, न है लोग यहाँ के ,
फ़िर क्यू है यह माउसी ,क्यू हर सक्श निराश है ...
Wednesday, September 3, 2008
तन्हाइयो की आगोश ने ...
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